ओएसिस स्कूल के सभागार में परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के संरक्षण पर कार्यशाला का आयोजन
सौर ऊर्जा के व्यक्तिगत प्रयोग से बड़ी मात्रा में परम्परागत ऊर्जा को बड़ी आसानी से बचाया जा सकता है: प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी
हज़ारीबाग़। शहर के कल्लू चौक मंडई रोड स्थित ओएसिस स्कूल के सभागार में परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के संरक्षण , गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोतों (खासकर सौर ऊर्जा ) के अधिकाधिक उपयोग, पर्यावरण संरक्षण, प्रकृति – रक्षा, जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या एवं इसके समाधान विषय पर एक संघोष्ठी और कार्यशाला का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का सुभारम्भ मुख्य अतिथि भारत के सोलर मैन, ऊर्जा स्वराज फाउंडेशन के फाउंडर, आई ० आई ० टी० मुंबई के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी एवं गेस्ट ऑफ़ ऑनर विनोबा भावे विश्वविद्यालय से अवकाश प्राप्त भौतिकी के ख्याति प्राप्त प्रोफेसर डॉ. जटाधर दुबे को पुष्प गुच्छ प्रदान कर किया गया। तत्पश्चात विद्यालय के प्राचार्य एहसानुल हक़ ने अपनी स्वागत उदबोधन में अतिथियों को विद्यालय परिवार की ओर से हार्दिक अभिनन्दन कहा एवं कार्यक्रम में भाग ले रहे विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा की ओएसिस स्कूल परिवार के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है। हमारे विद्यालय के लिए अति गौरव की बात है कि आज हमारे बीच विद्यालय सभागार में भारत के सोलर मैन एवं सोलर गाँधी के रूप में चर्चित प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी साक्षात् उपस्थित हैं। आज हम सभी उनके ऊर्जा स्वराज यात्रा के बारे में उनके ही मुख से सुन पाएंगे। सचमूच में आज उनका स्वागत करना हम पूरे ओएसिस स्कूल परिवार के लिए परम सौभाग्य की बात है। ओएसिस स्कूल हमेशा से ही विद्यार्थियों के बीच ‘ऊर्जा संरक्षण’ विषय पर जागरूकता अभियान चलाने का काम किया है। प्राचार्य महोदय ने उन्हें याद दिलाया की कैसे वे हमेशा इस बात पर जोर देते हुए कहा करते हैं कि परंपरागत ऊर्जा के तमाम स्रोत हमें पूर्वजों से विरासत के तौर पर मिला है जिसे हमें यथा-संभव अधिक से अधिक मात्रा में संरक्षित कर अपने भावी पीढ़ियों को सौंपना है। खासकर बच्चों को इसे सीखना अति आवश्यक है क्योंकि आज के बच्चे ही कल के भविष्य पॉलिसी मेकर है। उन्हें ऊर्जा के बारे में सीखना ही होगा कि गैर-परम्परगत ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कैसे बढ़ाई जा सकती है। खासकर सौर ऊर्जा पर उन्हें विश्वास है कि ओएसिस स्कूल के द्वारा चलाये जा रहे ऊर्जा संरक्षण के अनवरत जागरूकता अभियान को प्रोफेसर सोलंकी के ओएसिस स्कूल में आगमन एवं सहयोग से नयी गति मिलेगी और विद्यालय के द्वारा चलाये जा रहे ऊर्जा संरक्षण अभियान के लिए मिल का पत्थर साबित होगा। प्राचार्य ने कार्यक्रम में अपनी उपस्तिथि प्रदान करने के लिए प्रोफेसर जटाधर दुबे का भी आभार व्यक्त किया। प्राचार्य के उद्बोधन के उपरांत कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर जटाधर दुबे ने मुख्य अतिथि प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी के हज़ारीबाग आगमन को ऐतिहासिक घटना बताया एवं उनका आभार व्यक्त किया| उन्होंने ने कहा की बतौर विनोबा भावे विश्विविद्यालय में भौतिकी के विभागाध्यक्ष एवं विश्विविद्यालय प्रॉक्टर के दायित्व निर्वहन करते उन्होंने विश्विविद्यालय सहित कई महाविद्यालयों एवं विद्यालयों में भौतिकी पर कार्यशालायों का आयोजन करने के काम किया और अनुभव किया था कि विद्यार्थियों को ऊर्जा के विभिन्न पहलुओं से अवगत करा कर उनके माध्यम से समाज में जागृति पैदा कर जलवायु परिवर्तन जैसे भयावह खतरे से निपटा जा सकता है ।आज उन्हें ओएसिस स्कूल के इस प्रासंगिक एवं अद्भुत कार्यक्रम में शामिल होकर बड़ी प्रसनंता मिली है | विद्यालय प्रबंधन द्वारा उन्हें इस कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए वे उनका दिल से आभारी है। अंततः मुख्य अतिथि को सुनने को आतुर विद्यार्थियों ने तालियों की गड़गड़ाहट से प्रोफेसर सोलंकी के उदबोधन का स्वागत किया। प्रोफेसर सोलंकी ने सर्वप्रथम ओएसिस स्कूल सभागार में अनुशासित पूर्वक संयम एवं उत्सुकता से अभिभूत बच्चों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होने ओएसिस स्कूल प्रांगण में प्रवेश के साथ ही एक दिव्य अनुभूति महशुस किया है। उन्हें इस सभागार में हो रहे कार्यक्रम में भाग लेकर बड़ा अच्छा महशुस हो रहा है। उन्हें यहाँ आकर अपना विद्यार्थी जीवन याद आ रहा है। आप जैसे विद्यार्थियों एवं समाज के कुछ प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों , शिक्षादूतों एवं समाज प्रेमियों के प्यार के बदौलत ही शायद मैं अपने दृढ संकल्पों पर बढ़ पा रहा हूँ। आज के इस वैज्ञानिक युग में जब विश्व आर्थिक उन्नति की बुलंदियों को छू रहा है, हम विरासत में पाए परंपरागत ऊर्जा दोहन का प्रयोग कर रहे है और कई खतरनाक परिस्थितियो को आमंत्रित कर अनजान बने बैठे हैं। आज असीमित मात्रा में ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों के प्रयोग से वैश्विक स्तर पर वातावरण के ताप तेज गति से बढ़ता जा रहा है जिससे जलवायु परिवर्तन जैसी विकराल समस्या हमारे समक्ष उपस्थित हो गया है | मानव सहित समस्त प्राणियों की सुरक्षा के लिए इससे निपटने के लिए हमारे पास काफी काम समय रह गया है। अतः एक साथ एकल स्तर पर पूरे विश्व को काम करने की अविलम्ब जरूरत है। सौर ऊर्जा के व्यक्तिगत प्रयोग से बड़ी मात्रा में परम्परागत ऊर्जा को बड़ी आसानी से बचाया जा सकता है। इससे जॉब क्रिएशन के साथ-साथ इकॉनमी को भी मजबूत बनाना भी सरल है जिसे लोकल सफ्फिसिएंट एनवायरनमेंटल एजुकेशन से सिख सकते है। हमें गाँधी विचारधारा के स्वराज सिद्धांतों पर ऊर्जा संरक्षण पर काम विश्व की रक्षा एवं उन्नति अवश्य कर पाएंगे। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन उप प्राचार्य इम्तियाज आलम ने किया